मैं श्री हनुवंत राजपूत छात्रावास कुचामन हूँ | कुचामन में आस-पास के गांवों के बहुत से छात्र आकर पढाई करते हैं, इन छात्रों के लिए आवास की व्यवस्था एक बहुत बड़ी समस्या थी | इसी समस्या को समझ कर कुचामन के राजा हरिसिंह जी ने राजपूत छात्रों के लिए कुचामन में आवास व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1948 में जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह जी के नाम पर मेरी स्थापना का विचार किया |
राजा हरिसिंह जी ने मेरी स्थापना के लिए भूमि दान दी और आस-पास के स्थानीय ठिकानेदारों से मेरे निर्माण के लिए सहयोग का आग्रह किया| राजा साहब कुचामन के आग्रह पर ठिकानेदारों ने मेरे परिसर में कमरों का निर्माण कराया, साथ ही कुचामन के आस पास के आम राजपूत सरदारों की आर्थिक मदद से मेरे परिसर में अन्य कमरों आदि का निर्माण हुआ और गांवों से आकर राजपूत समाज की युवा पीढ़ी मेरे आँगन में रहकर शिक्षा ग्रहण करने लगी |
मेरे निर्माण और सञ्चालन में उतरप्रदेश के ठाकुर भरतसिंह जी ने जो सक्रीय भूमिका निभाई और मेरे विकास के लिए समाज बंधुओं को जिस तरह से उन्होंने प्रेरित किया, मैं उसे कभी नहीं भूल सकता, पेशे से अध्यापक ठाकुर भरतसिंह जी का मैं ताउम्र ऋणी रहूँगा |
मेरे आँचल में खेले कूदे, पढाई लिखाई किये युवाओं ने रेल्वे, शिक्षा, सेना, बैंक आदि विभिन्न सरकारी विभागों में सेवाएँ दी और आज भी दे रहे हैं | मेरे ही परिसर में रहकर कई छात्रों ने राजनीति के दाँव पेंच सीखे और वे कई गांवों में पञ्च, सरपंच बने|
1948 से मेरी स्थापना के बाद से ही मेरे परिसर में समाज के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते आ रहे हैं | पर जैसा कि हर एक साथ होता है, मेरी भी उम्र बढ़ी और मुझे भी जीर्णोद्धार की जरुरत महसूस हुई | समाज की उदासीनता के चलते मेरे परिसर की ईमारत भी जीर्ण हुई और इस अवस्था में पहुँच गई | लेकिन मेरा सौभाग्य कि मेरी हालत देखकर कुचामन के कुछ राजपूत युवाओं का मन विचलित हुआ और उनके भीतर सामाजिक सरोकारों के प्रति उनका कर्तव्य जाग उठा. इन्हीं युवाओं ने समाज के अपने छोटे भाई समान छात्रों की सुविधाओं के लिए मेरा जीर्णोद्धार करने की ठानी और एक अप्रैल 2023 को इस युवा मण्डली ने समाज के लोगों द्वारा आर्थिक सहयोग से मेरे कायाकल्प की शुरुआत कर दी|
बारिश के मौसम में मेरे परिसर के कमरों की छतों से पानी टपकने लगा था, जिससे यहाँ रहने वाले छात्रों को बड़ी तकलीफ होती थी आइडल कोचिंग संस्थान वाले श्री बजरंग सिंह जी सामने आये और छतों के वाटर प्रूफिंग के कार्य को पूर्ण करवाया, जिनके लिए मै उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ |
मेरे कमरों की बिजली फीटिंग उखड़ चुकी थी, जिसे इसी युवा टीम की देखरेख में वापस फिटिंग करवाई गई | मेरी दीवारों का प्लास्टर उखड़ने लगा था, जिसे वापस करवाकर मेरे पूरे परिसर का रंगरोगन करवा कर मुझे ऐसे सजा दिया गया जैसे मेरा निर्माण आज ही हुआ है | मेरी पूरी बिल्डिंग को कलर करने पर जो खर्च आया वो श्री हुकम सिंह आसरवा ने वहन किया | उनके इस आर्थिक सहयोग के लिए मैं उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ |
मेरे परिसर में छात्रों के लिए नया रसोई घर बनवाया गया | उसके आगे श्री अनिल सिंह जी मेड़तिया ने टिन शेड लगाया, ताकि उसकी छांव में बैठकर छात्र भोजन कर सके | यही नहीं अनिल सिंह जी ने छात्रों के पीने हेतु स्वच्छ जल की व्यवस्था हेतु आरओ और वाटर कूलर लगवाया, इसके लिए मैं अनिल सिंह जी का भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ|
छात्र अपने आराध्य की आराधना कर सके, इसके लिए मेरे आंगन में यह मंदिर बनवाया गया है | मेरे परिसर को हराभरा करने के लिए परिसर में L&T कम्पनी के सहयोग से पेड़ पौधे भी लगाए हैं |
आजकल पढाई करने के लिए एक नया ट्रेंड चला है, लाइब्रेरी का | जिसके शांत वातावरण में बैठकर छात्र पढाई करते हैं | युवा टीम ने मेरे परिसर में आधुनिक लाइब्रेरी की भी आवश्यकता समझी और ये शानदार लाइब्रेरी बना दी | मेरी इस शानदार और आधुनिक लाइब्रेरी में छात्र बैठकर आराम से अपनी पढाई कर सकते हैं | युवा टीम की इस लाइब्रेरी में कंप्यूटर लगाने की योजना भी है ताकि छात्र इन्टरनेट पर अपनी पढाई कर सके |
मेरे जीर्णोद्धार में जिन समाज बधुओं ने आर्थिक सहयोग किया मैं उन सबका हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ |
आज मेरे परिसर में छात्रों के रहने के लिए 28
कमरे है, जिसमें 54 छात्र रह सकते हैं | 62 छात्र एक साथ बैठकर मेरी लाइब्रेरी में
अध्ययन कर सकते हैं | इस तरह वर्तमान में 54 छात्रों के लिए मेरे परिसर में आवास,
भोजन और दैनिक जरुरत की सभी सुविधाएँ उपलब्ध है | परिसर की सुरक्षा के लिए
सीसीटीवी कैमरे लगे है |
और हाँ इन सुविधाओं के लिए मेरे प्रबंधक छात्रों से नाम मात्र का शुल्क लेते हैं | क्योंकि मैं तो बना ही हूँ सामाजिक सरोकार निभाने के लिए, इसलिए आवास और भोजन व्यवस्था का लागत मूल्य प्रतिछात्र मात्र 2500 रूपये प्रतिमाह लिया जाता है और प्रवेश के समय 1100 रूपये सेकुरिटी के जमा किये जाते हैं |
मेरा जीर्णोद्धार कर मेरा कायाकल्प करने वाली युवा टीम ने मेरे विकास की कई योजनाएं बना रखी है जिनमें 25x63 फिट का एक हॉल, पेयजल के एक ट्यूबवेल, एक बड़ा पानी का टांका और समाज के युवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए स्मार्ट कोचिंग क्लास रूम| जिसमें छात्र RAS, RPS, बैंक आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सके | एक बड़े हॉल बनाने का प्रोजेक्ट जिसकी अनुमानित लागत 15 लाख रूपये है जिसके लिए श्री जितेन्द्र सिंह जी आसरवा ने पांच लाख रूपये देने की घोषणा की है मैं उनका भी तहेदिल से हार्दिक अभिनंदन करता हूँ |
मुझे उम्मीद ही नहीं वरन पक्का विश्वास है कि आप उक्त योजनाओं के लिए मेरे विकास और समुचित प्रबंधन में लगी युवा टीम को पूरा सहयोग देंगे और मेरे विकास के लिए किसी भी तरह की आर्थिक कमी नहीं आने देंगे क्योंकि मेरा विकास आपकी आने वाली पीढ़ियों का विकास है, कोई भी समाज और व्यक्ति तभी आगे बढ़ सकता है जब उसने शिक्षा ग्रहण की हो और मेरी तो स्थापना की परिकल्पना ही राजा साहब हरिसिंह जी ने समाज में शिक्षा की अलख जगाने के लिए ही की थी |
अभी तक कुचामन में राजपूत छात्रों के लिए मेरे परिसर में सुविधा थी लेकिन समाज की बालिकाओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी जिसकी जरुरत समझकर श्री अनिल सिंह जी मेड़तिया ने बालिका छात्रावास के लिए एक बीघा भूमि दान देने की घोषणा की है | मैं श्री अनिल सिंह जी मेड़तिया का एक बार फिर इस नेक कार्य के लिए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ और आप सभी समाज बंधुओं से अपील करता हूँ कि अनिल सिंह जी जैसे समाज हितैषी से प्रेरणा लेकर समाज की आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ करें ताकि आने वाली पीढियां आपको याद रखे |
मैं एक बार फिर से राजा हरिसिंह जी, ठाकुर भरतसिंह जी और समाज के उन सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मेरे निर्माण, विकास और जीर्णोद्धार हेतु समय समय पर हर संभव सहयोग दिया |
मैं वर्तमान युवा टीम का भी आभार व्यक्त करता हूँ जो मेरे विकास और समुचित प्रबंधन के लिए तन मन धन से जुटी है |
धन्यवाद |