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डिग्गी फोर्ट का इतिहास : खंगारोत कछवाहों का महत्त्वपूर्ण ठिकाना था डिग्गी Diggi Fort History in HIndi


म्हारा डिग्गी पुरी का राजा, बाजै छै नोबत बाजा

इस भजन की मधुर स्वर लहरियां तो आपने सुनी होगी, इस भजन में डिग्गी पुरी का राजा किसे संबोधित किया गया और ये डिग्गी पुरी है कहाँ ? क्यों इतनी प्रसिद्ध है और रियासत काल में कौन थे यहाँ के शासक ? जानिए इस लेख में.....

अपने आँचल में एक समृद्ध ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक वैभव समेटे डिग्गी जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है | यहाँ रियासतकालीन एक भव्य एवं विशाल गढ़ बना है जो यहाँ के खंगारोत कछवाह शासकों के शौर्य और पराक्रम की अनेक घटनाओं का साक्षी है | डॉ राघवेन्द्र सिंह मनोहर की पुस्तक “ राजस्थान के खंगारोत कछवाहों का इतिहास” के अनुसार डिग्गी खंगारोत कछवाहों का एक प्रमुख ठिकाना है, जो मालपुरा परगने के अंतर्गत आता था | यहाँ के खंगारोत कछवाह राव खंगार के आठवें पुत्र भाखरसिंहजी की वंश परम्परा से है | इस वंश में हरिसिंहजी खंगारोत प्रसिद्ध सेनानायक हुये, जो आमेर के राज्य के स्तम्भ माने जाते थे | डिग्गी ठिकाना रिकार्ड के अनुसार हरिसिंहजी के बड़े भाई विजयसिंहजी को वि.सं. 1740 में 22 गांवों सहित डिग्गी की जागीर मिली थी |

यहाँ के शासकों ने समय समय पर आमेर के लिए कई युद्ध अभियानों में भाग लिया, यहाँ के ठाकुर कल्याणसिंह जी ने मराठाओं के खिलाफ कई युद्धों में भाग लेकर वीरता प्रदर्शित की | ठाकुर कल्याण सिंह जी ने आमेर के साथ ही मेवाड़ राज्य की सेवाएँ की | यहाँ के एक ठाकुर जगतसिंह जी शिवभक्त थे, उनकी एक ठकुरानी उदावत जी ने गोपीनाथ जी का यह मंदिर बनवाया | दूसरी ठकुरानी मेड़तनी जी ने वृन्दावन में मंदिर बनवाया | इन्हीं ठकुरानी मेड़तनी जी की एक पुत्री रतन कँवर हुई, जिन्होंने डिग्गी में सीताराम जी का मंदिर बनवाया | डिग्गी के राजपरिवार द्वारा बनवाये इन मंदिरों को देख उनकी धार्मिक अभिरुचि का पता चलता है | यही नहीं डिग्गी राजपरिवार की महिलाओं ने डिग्गी, वृन्दावन, लाम्बा, मालपुरा, चाँदसेण एवं कई स्थानों पर पेयजल के लिए बावड़ियाँ बनवाई और मंदिरों का निर्माण कराया | गढ़ में एक बड़ा दरबार महल, अमर निवास, रनिवास, माताजी का मदिर, विशाल कुआँ, सीताराम का मंदिर, नटवर जी का मंदिर आदि कई निर्माण है |

ऐतिहासिक दृष्टि से उपयोगी एक शिलालेख भी गढ़ की दीवार पर लगा है | जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के निधन से सम्बन्धित है | काले पत्थर पर लिखे इस शिलालेख में राणा सांगा के घायल होने पर डिग्गी गढ़ में एक वैध जी द्वारा इलाज किये जाने का उल्लेख है | गढ़ में वर्तमान में हेरिटेज होटल संचालित है, जो डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए जयपुर आस-पास लोगों का पसंदीदा स्थल है | राजसी शादी के शौक़ीन लोग इस गढ़ में आकर अपने बच्चों की शादी को एक यादगार बनाते है |

डिग्गी की पहचान है यहाँ के कल्याण जी महाराज का मंदिर है | जहाँ दूर दूर से भक्तगण शीश नवाने आते हैं | हमने शुरू में जिस भजन का जिक्र किया, वो इन्हीं श्री कल्याण जी को डिग्गी पुरी का राजा संबोधित कर गाया जाता है | इस मंदिर के बारे में एक लेख में जानकारी देंगे तब तक जुड़ें रहे हमारे फेसबुक पेज शौर्य गर्जना न्यूज और यूट्यूब चैनल ज्ञान दर्पण के साथ | और हाँ आप चाहें तो इस गढ़ में अपनी या अपने बच्चों की शादी कर राजसी शादी का शौक पूरा कर सकते हैं जिसकी बुकिंग के लिए इनकी वेबसाइट पर संपर्क करें |

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