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श्री कल्याण राजपूत छात्रावास सीकर की कहानी उसी की जुबानी | Shree Kalyan Rajput Hostel Sikar

मैं श्री कल्याण राजपूत छात्रावास हूँ | सन 1959 ई. में मेरी स्थापना से लेकर आजतक हर वर्ष सैंकड़ों राजपूत युवा मेरे प्रांगण में रहकर अपनी पढाई पूरी करते आयें हैं | मेरी स्थापना सीकर के रावराजा कल्याणसिंहजी ने सीकर शहर में पढ़ाई के लिए आने वाले समाज के ग्रामीण युवाओं की सुविधा के लिए की थी | ताकि समाज के ग्रामीण क्षेत्र के युवा यहाँ रहकर अपनी पढाई पूरी कर सके | मैं आभारी हूँ डालसिंह जी सबलपुरा, किशोरसिंह जी मोहनवाड़ी, जयसिंहजी बिडोली और भंवरसिंहजी भगतपुरा का, जिन्होंने रावराजा को मेरी जरुरत महसूस करवा कर मेरी स्थापना करवाई |



मेरी ममतामयी छांव में रहकर पढाई कर चुके कई युवा आज IAS, RAS, कर्नल, मेजर, डाक्टर, पुलिस अधिकारी, खेल अधिकारी, मजिस्ट्रेट, वकील, पत्रकार, सरपंच और उद्योगपति व व्यापारी हैं | मेरे प्रांगण में पढ़े व खेले कूदे युवाओं की सेना, पुलिस व शिक्षा क्षेत्र में तो इतनी संख्या है कि मैं आजतक गिन नहीं पाया |

अब आप रिटायर्ड RAS अधिकारी ईश्वरसिंह राठौड़ से सुन लीजिये कि उन्होंने मेरी ममतामयी छांव में क्या सीखा- (ईश्वरसिंह जी का बयान वीडियो में सुने) ईश्वरसिंहजी की तरह मेरे प्रांगण में रहे राजेन्द्रसिंहजी शेखावत आईएएस अधिकारी हैं, यशपालसिंहजी, किशोरसिंहजी डीएसपी हैं तो भागीरथसिंहजी बिन्ज्यासी रोड़वेज में चीफ मैनेजर रहे | बजरंगसिंहजी मजिस्ट्रेट रहे तो अनिलसिंहजी तंवर, सतवीरसिंहजी तंवर सेना में कर्नल व मेजर है| गोवर्धनसिंह राठौड़ ने विदेशी धरती पर व्यापार खड़ा किया है तो कभी देश का आद्योगिक हब रहे फरीदाबाद में नारायणसिंह जी पांडूराई बड़े उद्योगपति हैं | मेरे प्रांगण में रहकर पढ़े और आजतक मुझे मंदिर समझकर मेरी सेवा के लिए तत्पर रहने वाले चितरंजनसिंहजी राठौड़ को सीकर में कौन नहीं जानता | चितरंजनसिंहजी ने मेरे पास रहकर सेवाकर्म का जो महत्त्व समझा उसे आप सीकर की हर संस्था में उनकी सक्रीय भागीदारी के रूप में देख सकते हैं |

यह मेरी गोद में रहकर शिक्षा ग्रहण करने का ही नतीजा है कि कोमर्स व विज्ञान की पढ़ाई करने वाले भी इतिहास लेखन में रूचि रखते हैं | इस चैनल के संपादक रतनसिंह शेखावत से ही सुन लीजिये कि उन्होंने मेरे यहाँ रहकर क्या सीखा ....(रतनसिंह शेखावत को वीडियो में सुने) 

राजनीति की तो मैं प्रयोग शाला रहा हूँ, मेरे यहाँ राजनीति सीखकर गए युवाओं की तो कमी ही नहीं है, कितने ही युवा गांवों में सरपंच बने, कितने ही युवा विभिन्न राजनैतिक दलों में सक्रीय रहे | अब आप देवस्थान बोर्ड के सदस्य और भारतीय जनता पार्टी में रहकर राजनीति करने वाले जितेन्द्रसिंह कारंगा को सुन लीजिये (जितेन्द्रसिंह कारंगा को वीडियो में सुने)|

तो इस तरह मेरी स्थापना के बाद मेरे यहाँ रहकर पढ़े हजारों युवाओं ने अलग अलग क्षेत्रों में अपना कैरियर बनाया है | मैंने आपको जो नाम बताएं है वे तो गिनती के हैं, क्योंकि मैं उन्हीं की सफलता के बारे में जानता हूँ जो पढाई छोड़ने के बाद भी मेरे सम्पर्क में हैं और अक्सर मुझसे मिलने आते हैं, पर ये संख्या बहुत कम है बहुत से मेरे छात्र अपनी व्यवासायिक व पारिवारिक व्यस्तता के चलते मुझसे मिलने आने में असमर्थ है | लेकिन पिछले वर्ष यहाँ के कुछ पूर्व छात्रों ने वर्ष में एक बार पूर्व छात्रों के स्नेह मिलन की एक परिपाटी शुरू की है, जिससे मुझे आशा बंधी है कि अब मेरे यहाँ रहे छात्र मुझसे मिलने आते रहेंगे और मैं जान पाउँगा कि मैंने उन्हें जो दिशा दी वह उनकी दशा सुधारने में कितनी सहायक हुई |

ओह ! मैं तो कई देर से अपनी प्रशंसा की ही कहानी सुनाने में लगा हूँ | अब वह जानकारी भी सुन लीजिये जो मेरे यहाँ है जिसका लाभ आप बच्चों को दिलवा सकते हैं – मेरे प्रांगण में लगभग 61 कमरे हैं, आपके नौनिहालों के भोजन के लिए आधुनिक भोजनालय व पाक शाला है, जहाँ शुद्ध व पौष्टिक भोजन बनता है | चूँकि जमाना आधुनिक तकनीक का है अत: मेरे यहाँ रहने वाले बच्चों के लिए एक कंप्यूटर लैब भी है जहाँ अपनी पढाई के लिए जरुरी हर विषय की जानकारी जुटा सकते हैं | बैंक से रिटायर्ड राजेन्द्रसिंहजी शेखावत मेरे यहाँ वार्डन है जो यहाँ रहने वालों बच्चों का ठीक उसी तरह से ध्यान रखते हैं जैसे आप खुद रखते हैं | मैं तो राजेन्द्रसिंहजी को वार्डन कम मेरे यहाँ रहने वाले बच्चों का संरक्षक अधिक मानता हूँ |

सीकर शहर में बच्चे को पढ़ाने के लिए आपकी जेब पर ज्यादा भार नहीं पड़े, इसके लिए मेरे व्यवस्थापकों ने जो समाज के ही गणमान्य व्यक्ति हैं ने बहुत कम फ़ीस रखी है | फ़ीस के नाम पर सालाना महज 2500 रूपये की राशी ही ली जाती है और दोनों समय भोजन व छात्रावास की सफाई आदि के लगभग एक हजार रूपये मासिक मात्र हर छात्र से लिए जाते हैं ये बाते आप मेरे यहाँ व्यवस्था देखने वाले सुल्तानसिंहजी नागवा से भी सुन लीजिये – (सुल्तानसिंह जी को वीडियो में सुने)

     

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