Type Here to Get Search Results !

पीथीसर गांव का इतिहास : History of Pithisar Village

बणीरोत राठौड़ों की जागीर रहा पीथीसर गांव चुरू जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर है | अपने आगोस में गौरवशाली इतिहास समेटे यह गांव सांप्रदायिक सौहार्द की मिशाल है | तो जानिये इस गांव के वर्तमान और इतिहास के बारे में ..

गांव में एक ऊँचे रेत के टीले पर बना यह छोटा सा गढ़ कभी पीथीसर गांववासियों के लिए खास था | रियासती काल में पीथीसर के जागीरदार की छोटी गढ़ी व इसके द्वार से जुड़ी कई कहानियां आज भी गांव के बुजुर्ग बड़े चाव से सुनाते हैं | अपनी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहे इसी छोटे से गढ़ से आस-पास के गांवों पर हकुमत चलती थी, यहाँ के जागीरदार ही गांव वालों के राजा व सुख दुःख के सहयोगी थे |

कुछ विशेष मानसिकता वाले नेताओं के मुंह से आपने सामन्ती काल में जागीरदारों के कथित अत्याचार की कहानियां तो खूब सुनी होगी और इतिहास की किताबों में भी खूब पढ़ी होगी, पर आज इस गांव के बुजुर्गों व युवाओं के मुख से हमारे चैनल पर यहाँ क्लिक वीडियो सुनिये इस गांव के जागीरदार व उसकी प्रजा के बीच सम्बन्धों के बारे में और जानिए पीथीसर गांव का इतिहास

गांव के इस छोटे से गढ़ से आज भी गांव वालों का लगाव है और इस गढ़ व अपने पूर्व जागीरदारों पर गांव वासियों को गर्व है | गांव के सरपंच जंगशेर खां तो इसे गांव की ऐतिहासिक धरोहर समझते हैं और इसकी जीर्णोद्धार करने की मंशा रखते हैं |



इस गांव में कायमखानी मुसलमानों व अन्य जातियों के साथ राठौड़, शेखावत व भाटी राजपूत निवास करते हैं | जैसलमेर के रुपस्या गांव से सदियों पहले भाटी राजपूत आकर पीथीसर बसे थे | आज भाटियों के इस गांव में लगभग चालीस घर है | शेखावतों की खेजड़ोलिया शाखा के राजपूतों के भी इस गांव में घर है और इन्हीं में से एक दलेलसिंह शेखावत नाम के एक बहादुर राजपूत भी हुए, जन्हें लोग दलजी के नाम से जानते हैं | कहा जाता है कि दलजी कभी भी किसी कमजोर व गरीब को सताने नहीं देते थे, हर गरीब, कमजोर की लड़ाई खुद लड़ते थे | दलजी पर आज भी स्थानीय लोग धमाल गाते हैं, जिसमें उस बहादुर की वीरता के गीत गाये जाते हैं आपको बता दें राजस्थान में वीरों की वीरता लोकगीतों में गाई जाती है | गांव वाले बताते हैं कि बीकानेर के महाराजा गंगासिंहजी भी बड़े चाव से दलजी की धमाल सुनते थे | दलजी पर पूरी जानकारी हम अलग लेख में देंगे |

पीथीसर गांव जातीय व साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल है जिसकी झलक हमने खुद यहाँ एक शादी समारोह में देखी, जिस शादी में हमें शरीक होने का मौका मिला उसकी व्यवस्था में जुटे हिन्दू मुस्लिमों में कोई फर्क ही नजर नहीं आ रहा था | गांव के सरपंच जंगशेर खान ने हमें बताया कि हम भी चौहनवंशी राजपूत हैं इस्लाम स्वीकार करने से हमारी आराधना पद्दति ही तो बदली है डीएनए तो वही है | गांव चुरू व सरदार शहर से पक्की सड़क से जुड़ा है, एक ग्रामीण ने बताया कि भला हो केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह जी का जो वे गांव आये और गांव सड़क मार्ग से जुड़ गया | आपको बता दें केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह जी यहाँ के वर्तमान सरपंच जंगशेर खान के पिता हाजी रसूल खान जी के निधन पर शोक प्रकट करने आये थे, वे हाजी रसूल खान जी की कब्र पर भी गये थे | पूर्व मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता राजेन्द्रसिंह राठौड़, करणी सेना सुप्रीमो लोकेन्द्रसिंह कालवी, युवा नेता जितेन्द्रसिंह कारंगा आदि प्रदेश के कई गणमान्य नेता वीके सिंहजी के साथ गांव में आये थे | तब चुरू व इस गांव के कच्चे रास्ते पर सड़क बनी थी, इस तरह वीकेसिंहजी की पीथीसर यात्रा स्थानीय निवासियों के लिए वरदान साबित हुई |

आज गांव की गालियां सीमेंट के ब्लोक्स से पक्की बन चुकी है | खेलों के प्रोत्साहन देने के लिए खेल मैदान बना है | शिक्षा के लिए विद्यालय बना है | | पंचायत घर भी पीथीसर गांव में बना है | गांव में कायमखानी मुस्लिमों की आबादी का घनत्व है, गांव के काफी लोग खाड़ी देशों में रोजगार के लिए जाते हैं | गांव के विकास के लिए वर्तमान सरपंच जंगशेर खान कृत संकल्प है | मनरेगा के माध्यम से सरपंच ने विकास की कई योजनाएं पूरी की है और कईयों पर काम चल रहा है | गांव को कीचड़ मुक्त बनाना सरपंच का सपना है |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Area