Chol King Rajadhiraj : चोल राजा राजाधिराज
राजेन्द्र चौल का पुत्र राजाधिराज ईं. 1044 में गद्दी पर बैठा। वह ई. 1018 से ही अपने पिता के राजकार्यों में सहयोग करता रहा था। उसके शासन का अधिकांश समय उसके पूर्वजों के विशाल साम्राज्य में होने वाले विद्रोहों को दबाने में ही व्यतीत हुआ। वह पांड्य व सिलोन एंव अन्य छोटे राजाओं के विद्रोहों को दबाने में पूर्ण सफल रहा।
राजाधिराज ने चालुक्य साम्राज्य पर बड़े वेग से आक्रमण कर अपनी तलवार की आग से कहर ढा दिया। यह चालुक्य राजा सोमेश्वर के साथ कोटम्मा के युद्ध में मारा गया, किन्तु राजाधिराज का भाई विजय राजेन्द्र युद्ध जीत गया। राजेन्द्र ने युद्ध क्षेत्र में ही अपने को राजा घोषित कर दिया था।
चौलों व चालुक्यों में अपने प्रभुत्व की स्थापना को लेकर अनके बार युद्ध हुए। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण युद्ध कुदाल संगम स्थान पर लड़ा गया था। विजय राजेन्द्र (जो ई. 1063 में राजा बना था) ने अनेक युद्धों में विजयश्री प्राप्त की। इसके बाद ई. 1070 में इसका पुत्र गद्दी पर बैठा, किन्तु एक वर्ष के अन्दर ही उसे राज्य त्यागना पड़ा। इसके बाद चौल साम्राज्य कोलतुंग प्रथम के अधिकार में आ गया।