Chetak was loyal horse of Maharana Pratap the ruler of Mewar . चेतक महाराणा प्रताप का वफादार घोड़ा था | हल्दीघाटी के युद्ध घायल होने के बावजूद चेतक ने महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए एक नाले के ऊपर से छलांग दी और अपने स्वामी की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया | आज चेतक का हल्दीघाटी में स्मारक बना है | हजारों दर्शक चेतक के स्मारक पर आते हैं और स्वामिभक्त चेतक को नमन करते हैं |
आपको बता दें हल्दीघाटी युद्ध में चेतक के एक पैर में चोट लग गई थी, जिसकी वजह से चेतक घायल हो गया था | पर घायल चेतक ने अपने स्वामी का तब तक साथ नहीं छोड़ा, जब तक वे सुरक्षित स्थान पर नहीं पहुँच गए |
चेतक के उदाहरण ने यह बात जता दी कि इस देश में मनुष्य ही नहीं, पशु भी स्वामिभक्त होते है और इस तरह चेतक एक स्वामिभक्त होने के नाते इतिहास के पन्नों पर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने में कामयाब रहा |