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History of Gautam Kshatriya Rajvansh गौतम क्षत्रिय राजवंश का इतिहास

 History of Gautam Kshatriya Rajvansh गौतम क्षत्रिय राजवंश का इतिहास 


गौतम बुद्ध के संसार से विरक्त होने से पहले उनकी रानी यशोधरा को पुत्र उत्पन्न हो चूका था। गौतम बुद्ध के इसी पुत्र के वंशज आगे चलकर गौतम क्षत्रिय कहलाये। गौतम बुद्ध शाक्य वंश में जन्में थे। शाक्य वंश के क्षत्रिय भगवान राम के वंशज थे। शाक्य वंश की राजधानी कपिलवस्तु पर कौशल नरेश ने आक्रमण कर नष्ट कर दिया और शाक्यवंशियों को मौत के घाट उतार दिए। शाक्यवंश का एक क्षत्रिय इस आक्रमण से बचकर भागा और गंगा पार करके अलगढ़ निकट (हस्वा फतेहपुर) राज्य स्थापित किया। गौतम बुद्ध के वंशज होने के चलते इनको गौतम वंश के नाम से जाना जाने लगा। कौशल के राजा विरुधक जो प्रसेनजित का पुत्र था और अपने पिता के जीवनकाल में ही षड्यंत्र रचकर वहां का शासक बन बैठा था द्वारा शाक्यवंशियों को मौत के घाट उतारने से बचे एक शाक्य पांडू ने जो गौतम बुद्ध का वंशज था, गंगा पार अपना राज्य स्थापित किया। धीरे-धीरे उसके वंशजों ने गंगा के आस-पास अपने राज्य का विस्तार कर लिया। इसी राज्य पर 13 वीं शताब्दी तक इनका अधिकार रहा।

तेरहवीं शताब्दी में अरगल के गौतम वंशी राजा की रानी गंगा स्नान को बक्सर गई हुई थी। कि अवध के एक मुसलमान सरदार ने उसका अपमान करना चाहा, परन्तु ठाकुर अभयचंद बैस ने उसे मार कर रानी की लाज रखी। इस घटना से प्रसन्न होकर रानी ने अपने पति की सहमती से अपनी लड़की की शादी अभयचंद से कर दहेज में उसे 1440 गांव दिए। बैसों का अधिकृत प्रदेश होने से यह क्षेत्र आज तक बैसवाड़ा कहलाता है। 

गौतम वंश में राजा, राणा, रावत, राव आदि पदवी प्राप्त घराने है। ये उतरप्रदेश के गाजीपुर, फतहपुर, मुरादाबाद, बदायूं, कानपूर, आजमगढ़, फैजाबाद, बांदा, प्रतापगढ़, फरुखाबाद, गोरखपुर, बनारस, बहराइच आदि और बिहार के आरा, छपरा, दरभंगा और मध्यप्रदेश के रायपुर आदि जिलों में बसते है।

गौतम वंश में मौर्य, कण्डवार गौतम, गौतमिया, गोनिहा, अण्टैया आदि शाखाएँ है।

वंश के गौत्रादि  गौत्र- गौतम, प्रवर- पांच गौतम, अंगिरस, अप्यसार, बारहसप्तय, नेध्रुव, वेद- यजुर्वेद, शाखा- बाजसनेयी माध्यान्दिन, सूत्र- पारस्कर गृहसूत्र, नदी- गंगा.  


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