ठाकुर परगनसिंह
ठाकुर परगनसिंह आजमगढ़ के पास हीरापट्टी के निवासी थे. आजमगढ़ जिले में
कुंवरसिंह के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी गई. इन लड़ाइयों में ठाकुर परगनसिंह का
महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है. ठाकुर परगनसिंह अत्यधिक साहसी, वीर तथा स्वतंत्रता
प्रेमी थे. सन 1857 ई. की क्रांति में कुंवरसिंह अपनी सेना के साथ जब अयोध्या से
आजमगढ़ जिले में आये तब ठाकुर परगनसिंह ने उनका भरपूर साथ दिया.
हीरापट्टी गांव सन 1857 की क्रांति के समय विद्रोहियों का
महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया था. ठाकुर परगनसिंह ने आजमगढ़ नगर पर कब्ज़ा करने और
वहां से अंग्रेजों को भगाकर स्वतंत्र सरकार की स्थापना करने में आगे बढ़कर भाग लिया
था. कर्नल मिलमैन ने एक सैनिक टुकड़ी के साथ 21 मार्च सन 1858 को मद्रास घुड़सवार
सेना के साथ विद्रोहियों पर जब आक्रमण किया तब विद्रोही बड़ी बहादुरी से लड़े. कर्नल
मिलमैन की सेना को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
परगनसिंह ने कोईलसा पर अधिकार कर लिया और विद्रोहियों का एक बड़ा दल और
एक सुदृढ़ संगठन खड़ा कर लिया था. उन्होंने आजमगढ़ के विभिन्न भागों में अंग्रेजों से
टक्कर ली और वहां की जनता को प्रेरित करके क्रांति में शामिल किया. जिला फ़ैजाबाद
का पूर्वी भाग भी उनका विशेष संघर्ष क्षेत्र बन गया. ब्रिटिश सरकार ने उनकी
गिरफ्तारी का वारन्ट जारी कर दिया था.
ठाकुर परगनसिंह की गिरफ्तारी के लिए अंग्रेजों ने इनाम की घोषणा भी की थी. परन्तु वे अंग्रेजों के चुंगल में नहीं आये. वहां के लोगों में जनश्रुति है कि ठाकुर परगनसिंह नेपाल चले गये थे और वहां किसी साधु के सम्पर्क में आये थे. वे नेपाल में ही रहे थे.