रणबहादुरसिंह
झारखण्ड राज्य के दक्षिण में सिमडेगा जिला है. वर्तमान जिला सिमडेगा
पूरा का पूरा स्वतंत्रता प्राप्ति तक बीरू-केशलपुर राज कहलाता था. जिसकी राजधानी
बीरू थी. यहाँ के राजा जगन्नाथपुरी के राजाओं के वंशज थे. इसी कोलेबिरा प्रखण्ड के
पास ही भंवर पहाड़ गांव है. यह गांव इसी पहाड़ पर है.
भँवर पहाड़ के जमींदार रणजीत के पुत्र रणबहादुरसिंह का जन्म सन 1835 ई.
में भँवर पहाड़ (कोलेबिरा) में हुआ था. सन 1857 ई. में देश की स्वाधीनता हेतु
क्रांति हुई थी, तब उड़ीसा में भी विद्रोह हुआ था. उस विद्रोह को दबाने के लिए
अंग्रेजों ने एक सेना भेजी. अंग्रेज सेना लोहर दगा से उड़ीसा कोलेबिरा के रास्ते से
जा रही थी. इसकी सूचना मिलने पर रणबहादुरसिंह ने कोलेबिरा के गलायटोली पपराघाट के
पास अंग्रेजी सेना को रोक दिया. अंग्रेज सेना व रणबहादुरसिंह की सेना के मध्य
घमासान युद्ध हुआ. अंग्रेज सेना परास्त होकर भाग गई. युद्ध के पश्चात्
रणबहादुरसिंह को काफी हथियार व अंग्रेजों का खजाना मिला.
रणबहादुरसिंह एक प्रजावत्सल, अच्छे समाजसेवी के रूप में जाने जाते थे.
उन्होंने अपने जीवन काल में लोगों की बहुत सेवा की. अपने क्षेत्र की जनता की बहुत
मदद भी की. इस इलाके में रणबहादुरसिंह की पहचान एक साहसी व सेवाभावी प्रशासक के
रूप में थी. रणबहादुरसिंह ने अपने जीवन काल में सभी जाति के लोगों को जमीन देकर
बसाया था. उन्होंने कोलेबिरा में भी श्री जगन्नाथ की स्थापना की तथा आषाढ़ शुक्ला
द्वितीय को रथयात्रा प्रारम्भ की. प्रजा की सुविधा के लिए कई तालाबों का निर्माण
कराया था. जशपुर राज (छत्तीसगढ़) के महाराजा विष्णु प्रसादसिंह जूदेव से उनका अच्छा
सम्बन्ध था. इनके दरबार में हर वक्त घुड़सवार सैनिक तैयार रहते थे. इनके समय में
सुरक्षा-व्यवस्था मजबूत रहने से जनता अपने को सुरक्षित महसूस करती थी. यही कारण था
कि अंग्रेज सेना ने इस क्षेत्र की ओर कुदृष्टि डालने की हिम्मत नहीं की.
99 वर्ष की आयु में रणबहादुरसिंह का स्वर्गवास हो गया.