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Jambho Ji Parmar and Bisnoi जांभाजी परमार और विश्नोई मत

 जांभाजी परमार और विश्नोई मत 

बिश्नोई मत के प्रवर्तक और महान संत जाम्भोजी का जन्म भादवा वदी 8 वि.स.1509 पीपासर गांव में हुआ था। ये परमार राजपूत थे तथा बीकानेर के हरसोर गाँव के निवासी थे। पिता का नाम लौटजी परमार था। ये सामान्य राजपूत परिवारों से थे तथा पशुपालन ही इनकी आजीविका थी। ये करामाती सन्त थे। वि.स.1542 से इन्होंने जनता को उपदेश देना आरम्भ किया। इन्होंने अपने अनुयायियों के लिए 29 नियमों का सृजन किया तथा उनके पालन का आदेश दिया। बीस और नौ के अनुसार इनके अनुयायी बिसनोई कहलाने लगे अर्थात आपके बनाये 29 नियमों का पालन करने वाला बिसनोई कहलाया।

बिसनोईयों के लिए सभी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन निषिद्ध है। अहिंसा को सर्वोपरि महत्व दिया। किसी भी जीव को मारना बिसनोईयों के लिए मना था। शाकाहारी एवं सात्विक भोजन पर जोर दिया गया। आज भी बिसनोईयों के गाँवों में हिरन आदि जानवर स्वच्छन्द रूप से गांव में व आसपास घूमते नजर आते हैं। आपका स्वर्गवास मंगसिर कृष्णा 8 वि.स. 1583 को हुआ। विश्नोई राजस्थान में जोधपुर, बीकानेर क्षेत्र तथा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और नेपाल में भी निवास करते हैं।


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