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Mini Taj Mahal of Karkedi Village : करकेड़ी गांव का छोटा ताज महल

Mini Taj Mahal : Village Karkedi Near Kishangarh

Mini Tajmahal of Karkedi Villgae : संगमरमर से बना यह यह खुबसूरत भवन एक जागीरदार का स्मारक है, जिसे गांव वासी मिनी ताजमहल या छोटा ताजमहल कहते हैं | आज उपेक्षित पड़े इस स्मारक में कभी बहुत ही सुन्दर बाग़ लगा था, बगीचे में तरह तरह के फव्वारे लगे थे | देखभाल के अभाव में असामाजिक तत्वों ने इन फव्वारों को तोड़ दिया, पर जहाँ वे लगे थे, उस जगह को देखकर सहज अनुमान लग जाता है कि कभी यहाँ एक खुबसूरत व मनोरम बगीचा था, जिसमें ताजमहल की तरह ही फव्वारे लगे थे |

यूट्यूब पर इस खुबसूरत स्मारक के कई वीडियो बने है पर शायद ही किसी ने इसकी जानकारी जुटाने की कोशिश की होगी | हमने भी गांव के कुछ लोगों से पूछा पर सही जानकारी नहीं मिल पाई, आखिर हमने इतिहास की किताबों को खंगाला तो डॉ. अविनाश पारीक द्वारा लिखित “किशनगढ़ का इतिहास” नामक पुस्तक में इसकी सही जानकारी मिल पाई |

किशनगढ़ रियासत के ग्राम करकेड़ी में सलेमाबाद रोड़ पर सड़क बना है यह भव्य स्मारक | संगमरमर पत्थर से बना यह भव्य स्मारक स्थापत्यकला कला का बेजोड़ नमूना है | इस स्मारक में लगे टेडे खम्बे हर किसी को आकर्षित करते हैं | इस तरह के टेडे खम्बे वृन्दावन के एक मंदिर में लगे हैं या फिर यहाँ | राजस्थान में किसी भी स्मारक को छतरी कहा जाता है और यह छतरी है करकेड़ी के जागीरदार जवानसिंहजी की |

जवानसिंहजी धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे, उन्होंने अपने बड़े भाई किशनगढ़ के महाराजा शार्दूलसिंहजी के सानिध्य में भगवान श्रीनाथजी के 56 भोग लगाया तथा वैदिक परम्परानुसार सोमयज्ञ जैसे बड़े धार्मिक अनुष्ठान करवाए |

डॉ. अविनाश पारीक ने लिखा है कि “ऐसा कहा जाता है कि इनके पिता ने मौखम विलास में सोम यज्ञ करवाया था और इस यज्ञ की पूर्णाहुति के ठीक नौ महीने बाद माघ शुक्ला द्वादशी, वि.सं. 1952 को जवानसिंहजी को पुत्र रत्न प्राप्त हुआ था | धार्मिक संस्कार और आस्था के कारण उन्होंने अपने पुत्र का नाम यज्ञ देवता के आशीर्वाद के कारण यज्ञनारायणसिंह रखा |

जवानसिंह जी के यही पुत्र यज्ञनारायणसिंहजी किशनगढ़ के महाराजा मदनसिंहजी के निधन के बाद 9 दिसम्बर 1926 को किशनगढ़ की गद्दी पर बैठे | आपको बता दें महाराजा मदनसिंहजी निसंतान थे, अत: करकेड़ी के जागीरदार जवानसिंहजी के पुत्र यज्ञनारायणसिंहजी को गोद लेकर उनका किशनगढ़ की राजगद्दी पर राज्यभिषेक किया गया |

किशनगढ़ के इन्हीं महाराजा यज्ञनारायणसिंहजी ने अपने पिता के निधन के बाद करकेड़ी ग्राम में उनकी स्मृति में लाखों रूपये खर्च कर संगमरमर का यह स्मारक बनाया और यहाँ एक सुन्दर बगीचा लगवाया | उनके द्वारा अपने पिता जवानसिंहजी की स्मृति में बनवाये इस सुन्दर स्मारक को ही लोगों ने छोटे ताजमहल की संज्ञा दी है |

वर्तमान में इस स्मारक के भीतर दो बड़ी तस्वीरे रखी है, जिनकी पूजा अर्चना की जाती है चूँकि जवानसिंहजी धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे शायद इसलिए उनका चित्र साधू की तरह नजर आता है | जवानसिंहजी का यह स्मारक आस-पास के लोगों की आस्था का केंद्र है, ज्वर बुखार के रोगी यहाँ आकर महाराजा जवानसिंहजी की समाधि की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें लाभ मिलता है ऐसा यहाँ प्रचलित है |

इस स्मारक से कुछ दूर पहाड़ी पर एक किला बना है, जो जवानसिंहजी के पूर्वजों ने बनवाया था, आज वीरान पड़े इस किले के गौरवशाली इतिहास की जानकारी किसी अन्य लेख में देंगे | 

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