Nimbi Khurd Fort : निम्बी खुर्द गढ़ नागौर जिले के डीडवाना से आठ किलोमीटर दूर निम्बी खुर्द गांव में बना है | देश की आजादी से पूर्व यह ठिकाना मारवाड़ राज्य का अंग था और यहाँ के जागीरदार राठौड़ों की मेड़तिया शाखा की उपशाखा जालमसिंघोत थे | जालमसिंघोत मेड़तिया कुचामन रियासत के संस्थापक ठाकुर जालमसिंह मेड़तिया के वंशज होने के कारण जालमसिंघोत कहलाये | जागीरदारी उन्मूलन के समय ठाकुर हरिसिंह मेड़तिया इस ठिकाने के जागीरदार थे | इस ठिकाने के नीचे सात गांव थे, यानी यह सात गांवों की जागीर थी | ठिकाने की व्यवस्था व जागीरदार के रहने के लिए यहाँ एक छोटा सा गढ़ बना है, जिसमें आज भी पूर्व जागीरदार परिवार के सदस्य रहते हैं |
वर्तमान में यह गढ़ देखरेख के अभाव में जीर्ण शीर्ण हो चूका है, इसके कई हिस्से ढह भी गए पर फिर भी जो बचा है उसे देखने से सहज ही ये अहसास हो जाता है कि यह गढ़ भले छोटा हो पर था बहुत ही सुन्दर | गढ़ में बड़ा प्रवेशद्वार बना है | प्रवेशद्वार के एक तरफ शिव मंदिर है तो दूसरी और दीवार में एक बड़ा आला बनाकर लोकदेवता पाबूजी राठौड़ का मंदिर बनाया गया, जिसमें पाबूजी महाराज की प्रतिमा स्थापित है |
गढ़ में प्रवेश करते ही सामने जनाना ड्योढ़ी का दरवाजा नजर आता है | सामने ही एक बड़ा चबूतरा बना है जिस पर कुलदेवी नागनेची माता का मंदिर बना है | जनाना ड्योढ़ी के साथ ही एक बड़ा हाल बना है जिसे दरबार हाल के नाम से जाना जाता है | रियासती काल में यहाँ के जागीरदार इसी बड़े हाल में अपना दरबार लगाते थे | जनाना ड्योढ़ी में घुसते ही एक चौक है और साथ ही कई महल बने थे, जिनमें नवचौकिया महल, कांच महल व हवा महल प्रमुख थे | आगे तीन मंजिला जनाना ड्योढ़ी का दूसरा चौक था, लेकिन अफ़सोस अब यह तीन मंजिला जनाना ड्योढ़ी पूर्णतया ढह चुकी है |
जनाना ड्योढ़ी के भीतर ही सीतारामजी का मंदिर
था, जिसमें अन्दर ही एक कुआँ बना था और मंदिर के पीछे सीतारामजी के भोग बनाने के
लिए रसोईघर बना है | वर्तमान में इस मंदिर की प्रतिमा को यहाँ से हटाकर गांव के
मध्य नया मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया गया है | गढ़ काफी जीर्णशीर्ण हो चुका लेकिन
ख़ुशी की बात है अब पूर्व जागीरदार परिवार पुन: गढ़ में निवास करने लगा है और धीरे
धीरे गढ़ का जीर्णोद्धार किया जा रहा है | वर्तमान में गढ़ में ठाकुर दुर्गासिंह और
उनके पुत्र कुंवर भंवरसिंह निवास करते हैं |