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What are the different views of history?

 What are the different views of history? इतिहास लेखन की हम बात करें तो हर इतिहासकार इतिहास की हर घटना को अलग अलग एंगल से देखते हैं और लिखते हैं | इसमें उनकी धार्मिक, जातिगत और राजनैतिक विचारधारा आधार बनती है | अब आप भारत के इतिहास को भी ले लीजिये - अंग्रेजों का इतिहास लिखने का अपना अलग एजेंडा था, तो भारतीय इतिहासकारों का नजरिया अपने देश के प्रति | भारतीय इतिहासकारों में भी वामपंथी इतिहासकारों का अपना एजेंडा था, हर घटना को उन्होंने अलग नजरिये दे देखा और लिखा | उनका एक ही मकसद था कि किसी तरह भारतीय समाज टूटे, भारतीय संस्कृति नष्ट हो, क्योंकि उसी में उनको फायदा था |

वामपंथी इतिहासकारों ने अंग्रेजों की तरह ही इतिहास में खूब तोड़मरोड़ की, तथ्यों का अलग अपनी मर्जी से विश्लेषण किया ताकि भारतीय समाज अपने आपको हीन समझे, अपने धर्म को बेकार समझे और उनकी विचारधारा अपनाये | ठीक उनके विपरीत देश के राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने इतिहास की उन घटनाओं को वामपंथी लेखकों के विपरीत देश के गौरव के रूप में देखा और लिखा | मतलब हर इतिहासकार इतिहास की घटना को लेकर different views होता है जिसका आधार मैं पहले लिख चुका हूँ |

उदाहरण के तौर पर महाराणा प्रताप का अकबर के साथ संघर्ष को ही ले लीजिये | राणा प्रताप और अकबर की सेना के मध्य पहला युद्ध हल्दीघाटी में हुआ, जिसमें एक रणनीति के तहत राणा युद्ध से पलायन कर गए और उन्होंने अकबर की सेना के खिलाफ युद्ध जारी रखा | अकबर की सेना ने मेवाड़ का काफी हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया, लेकिन महाराणा ने ना हार मानी, ना झुके, ना पकड़े गए, ना प्रतिरोध रोका | यही नहीं राणा प्रताप ने वर्षों तक मुग़ल सेना से युद्ध किये और आखिर दिवेर के युद्ध में मुग़ल सीना को पराजित कर हरा दिया और मेवाड़ का लगभग इलाका जीत लिया |

लेकिन इस ऐतिहासिक घटना में वामपंथी व अंग्रेज इतिहासकारों ने राणा की हार प्रचारित की | दोनों के मध्य संघर्ष की पहली झड़प को राणा प्रताप की हार लिखा पर वर्षों चले संघर्ष के बाद राणा ने जब मेवाड़ जीत लिया, उस घटना पर पर्दा डाल दिया | कारण साफ है वे नहीं चाहते थे कि भारतीय जन मानस अपने राजाओं के शौर्य पर गर्व करे, वे तो चाहते हैं कि भारतीय सिर्फ अपनी राजाओं की हार का इतिहास पढ़कर अपने आपको हीन समझे | यही इतिहास लेखन मी different views होते हैं | 

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