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Raja Aditya Chaul History आदित्य चौल (प्रथम)-(ई.871 से ई. 907)

 Raja Aditya Chaul History : आदित्य चौल (प्रथम)-(ई.871 से ई. 907)

विजयल्ला के पुत्र और उसके राज्य के उत्तराधिकारी आदित्य प्रथम ने श्री पूराम्बियम के युद्ध में पल्लव राजा अपराजित की ओर से जो उसका प्रमुख था, भाग लिया। इस युद्ध में पांड्यों की बुरी तरह पराजय हुई। कुछ समय बाद आदित्य के मन में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की अभिलाषा, वंश की प्रतिष्ठा बनाए रखने की भावना की

उत्प्रेरकता तथा पल्लवों की सैन्यिक कमजोरी देखकर ई. 891 में पल्लवों पर आक्रमण किया। इस युद्ध में आदित्य की विजय हुई और पल्लव राजा अपराजित मारा गया। टोडामंडलम चौल राज्य में मिला लिया गया।

दक्षिण के पल्लव वंश का अन्त हो गया और चौल वंश दक्षिण की प्रमुख राज्य शक्ति के रूप में उभरने लगा। इसके बाद आदित्य ने पांड्यों से कांगू देश (कोइम्बटूर व सेलम जिलों) तथा पश्चिमी संघ को जीत लिया। इस विजय में चेरी राजा सथानुरावी ने आदित्य को सहयोग दिया था। आदित्य का पश्चिमी संघ की राजधानी तलकाट पर भी अधिकार हो गया। पृथ्वीपति द्वितीय ने आदित्य की प्रभुसत्ता स्वीकार कर ली। आदित्य ने पल्लव राजकुमारी से विवाह किया, जिससे दो पुत्र हुए। आदित्य ने शिव मन्दिरों का निर्माण कराया, जिससे चौल वंश का बीजारोपण हुआ। आदित्य के नेतृत्व में वास्तविक चौल शक्ति के रूप में उभर चुकी थी। वह वास्तविक चौल वंश का संस्थापक था। आदित्य विलक्षण योग्यता, शक्ति और चतुराई का धनी था। 

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