History of Sodha and Varah Parmar सोढा व वराह परमार राजपूतों का इतिहास
सोढ़ा - बाहड़ परमार के पुत्र सोढ़ा से परमारों की सोढ़ा शाखा चली। सोढ़ाजी सिंध में सूमरों के पास गये जिन्होंने सोढ़ा को ऊमरकोट (पाकिस्तान में) से 14 कोस दूर राताकोर दिया। सोढा के सातवें वंशधर धारावरीस के दो पुत्र आसराव और दुर्जनशाल थे। आसराव ने जोधपुर में पारकर पर अधिकार किया। दुर्जनशाल ऊमरकोट की तरफ गया। उसकी चौथी पीढी के हमीर को जाम तमायची ने ऊमरकोट दिया। अंग्रेजों के समय राणा रतन ने अंग्रेजों का डटकर मकाबला किया पर उन्हें पकड़ कर फांसी पर चढ़ा दिया। इस योद्धा के गीत आज भी श्रद्धा से न केवल ऊमरकोट बल्कि राजस्थान में भी गाये जाते हैं।
वराह परमार- ये मारवाड के प्रसिद्ध परमार शासक धरणी वराह के वंशज थे जिनका राज्य पूरे मारवाड़ और उससे भी बाहर तक फैला हुआ था। उसके नौकोट किले थे। इसीलिए मारवाड़ नौ कुटी कहलाई । मारवाड़ के बाहर उसका राज्य साँभर प्रदेश,जैसलमेर तथा बीकानेर के बहुत से भूभाग पर था। वर्तमान जैसलमेर प्रदेश पर उनके वंशज वराह परमारों चुन्ना परमारों व लोदा परमारों के राज्य थे। मंगलराव भाटी ने पंजाब से आकर विक्रम 700 के करीब इनसे यह भू भाग छीन कर अपने अधीन कर लिया। इनका बड़ा विस्तृत राज्य था। वराह शाखा के परमार वर्तमान में पटियाला जिले में हैं।