झण्डासिंह भदौरिया साँकरी
चम्बल क्षेत्र के क्रांतिकारियों में झण्डासिंह भदौरिया साँकरी का भी
नाम प्रमुख है. क्रांतिकारी सैनिकों का एक दल झण्डासिंह के नेतृत्व में जंगल के
रास्ते शेरगढ़ घाट औरैया की ओर भेजा गया, इस दल में भदावर के सराय धार क्षेत्र,
कछवाह धार क्षेत्र तथा परिहारा क्षेत्र के क्रांतिकारी आजादी के दीवाने शामिल थे.
उन्होंने शेरगढ़ घाट के पास अपना मोर्चा जमाया तथा अंग्रेजों का जलमार्ग रोक दिया.
कई बार अंग्रेज सेना ने जलमार्ग से आगे बढ़ने का प्रयास किया परन्तु वे आगे
सुरक्षित नहीं जा सके. अंग्रेजी सेना द्वारा बीच की पट्टी में आवागमन हेतु कच्चे
मार्ग का निर्माण कराया, जिसके द्वारा सेना भेजी जा सके.
झण्डासिंह का दल शेरगढ़ घाट से इसी कच्ची सड़क से साँकरी आ रहा था तो
रास्ते में अंग्रेजी सेना आती हुई देखी तब उन्होंने अपने साथियों को युद्ध का
मोर्चा संभालने का आदेश दिया. इनके साथ बहुत कम आदमी थे और जंगल की तरफ जाकर
सुरक्षित निकल सकते थे. परन्तु मरने-मारने की इच्छा रखने वाले इस दल ने लड़कर मरना
ही अच्छा समझा. इन्होंने अंग्रेजी सेना का मुकाबला किया. इस लड़ाई में कई अंग्रेज
सैनिक मारे गए तथा झण्डासिंह भी अपने साथियों सहित वीरगति को प्राप्त हुए. यह लड़ाई
साँकरी गांव से कुछ ही दूरी पर लड़ी गई थी. आज भी साँकरी गांव में झण्डासिंह की
स्मृति में एक थान बना हुआ है.